रबी की फसलों का जिक्र करें तो यहां प्रमुख नकदी फसलों में गेहूं की गिनती सबसे पहले होती है. गेहूं की गिनती प्रमुख खाद्यान्न फसलों में तो होती ही है साथ ही, देश में इसका उत्पादन और खपत बहुत अधिक होता है. भारतीय सरकार गेहूं देश के साथ-साथ दुनिया के बहुत से देशों में निर्यात की जाती है. ऐसे में किसानों की भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वह अच्छे वाला अनाज उगाएं|
हमारे देश के कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की कई ऐसी किस्में विकसित की है जो कम समय और कम खर्च में अच्छी गुणवत्ता के साथ बहुत पैदावार भी देती है. इन किस्मों में Puja Tejas Wheat गेहूं शामिल है, जिसे साल 2016 में इंदौर कृषि अनुसंधान केन्द्र ने विकसित किया था. पैदावार के मामले में यह किस्म किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है.
पूजा तेजस गेहूं
इस किस्म का वैज्ञानिक नाम HI-8759 है जो रोटी और बेकरी उत्पादों के साथ-साथ नूडल, पास्ता और मैक्रोनी जैसे उत्पादों को बनाने के लिये महत्वपूर्ण मानी जाती है.
गेहूं की ये उन्नत किस्म आयरन, प्रोटीन, विटामिन-ए और जिंक जैसे पोषक तत्वों का खजाना होता है. वहीं, इस किस्म में गेरुआ रोग, करनाल बंट रोग और गिरने की संभावना भी नहीं रहती|
बुवाई का समय
पूसा तेजस गेहूं की बुवाई के लिये 10 नवंबर से 25 नवंबर तक का समय सबसे सही माना गया है. इस दौरान प्रति एकड़ के लिये 50 से 55 KM बीज, प्रति हेक्टेयर के लिये 120 से 125 KM बीज और प्रति बीघा के हिसाब से 20 से 25 KM बीजदर का प्रयोग करना चाहिए.
इस तरह करें खेती
इस किस्म की बुआई करने से पहले खेत को गहरा जोत कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें. इसके बाद गोबर की खाद और खरपतवार नियंत्रण दवाओं का मिट्टी में छिड़काव करें ताकि फसल में खरपतवार उगने की संभावना ना के बराबर हो. इस किस्म की बुआई से पहले बीजों का अच्छी तरह से उपचार कर लें. इसके लिये कार्बोक्सिन 75 % या कार्बनडाजिम 50 % 2.5-3.0 ग्राम दवा से प्रति KM बीजों का उपचार करना चाहिए.
सीड ड्रिल मशीन से बुआई करते हुए लाइनों के बीच 18 से 20 सेमी और 5 सेमी गहराई में बीजों की बुवाई करनी चाहिए.
यदि खेत या फसल में कभी कण्डवा रोग का इतिहास रहा हो तब भी बीजो को 1 ग्राम टेबुकोनाजोल या PSB कल्चर 5 ग्राम से प्रति किलो बीज का उपचार कर लेना चाहिए|
फसल प्रबंधन और देखभाल
पूसा तेजस अपने आप में अच्छी फसल देने वाली किस्म है लेकिन मिट्टी की जांच के आधार पर एक हेक्टेयर खेत में 120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस और 30 से 40 किलो पोटाश का उपयोग कर सकते हैं.
बता दें कि पूसा तेजस गेहूं की फसल सिर्फ 3 से 5 सिंचाई में पककर तैयार हो जाती है. इससे मिट्टी में सिर्फ नमी बनाये रखकर भी अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
गेहूं का उत्पादन
गेहूं की इस किस्म से किसान 115 से 125 दिनों के अंदर 65 से 75 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकतें हैं. कड़क और चमकदार दानों वाली पूजा तेजस किस्म दिखने में जितनी आकर्षक होती है, इससे बने खाद्य पदार्थ भी उतने ही स्वादिष्ट होते हैं|