धान कटाई के बाद पराली का प्रबंधन करना किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है. मजबूरन किसानों को पराली में आग लगा देते है जिसके चलते उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि में बड़े स्तर पर वातावरण प्रदुषित हो जाता है. राजधानी दिल्ली में तो हालात और भी बुरे हो जाते हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर पाबंदी लगा दी लेकिन इसके बावजूद भी पराली जलाने के मामलों में कोई अथिक कमी नहीं आ रही है
फिलहाल धान कटाई का सीजन शुरू हो चुका है और कई जगहों से पराली जलाने के मामले भी आने शुरू हो गए हैं. किसानों का कहना है कि उनके पास पराली प्रबंधन का कोई तरीका नहीं है, इसलिए मजबूरी में आग लगानी पड़ती है. किसानों की इस समस्या देखते हुए हम यहां कुछ ऐसे उपायों के बारे में जिक्र करेंगे, जिनको उपयोग करके किसान साथी पराली को अपनी आमदनी का जरिया भी बना सकते हैं.
पराली की बनाएं गांठ
कई राज्यों में कंबाइन मशीन से धान की कटाई की जाती है. ऐसे धान की पराली की गांठें बनाई जाती है. इन गांठों की बाजार में बहुत मांग है. कई बार तो बेलर भी आपको इन गांठों के बदले अच्छे पैसे दे देते हैं. वहीं हरियाणा और पंजाब में कई उद्योग ऐसे हैं, जो किसानों से इन गांठों को खरीदते हैं. हरियाणा के करनाल में स्थित Sumsung पेपर इंडस्ट्री किसानों से पराली की गांठें खरीद कर बिजली का उत्पादन करती है|
पराली का भूसा बनाना
किसान साथियों के लिए पराली प्रबंधन का सबसे और आसान उपाय उससे भूसा बनाना है. किसान थ्रेसर मशीन की मदद से पराली का भूसा बना देते हैं. पराली का भूसा 600 रुपए प्रति क्विंटल के भाव बेचा है. इससे किसानों को आग लगाने की समस्या से छुटकारा मिलेगी तो वही भूसा बेचने से आमदनी हो सकती है|
जैविक खाद बनाना
पराली से किसान जैविक खाद बना सकते हैं. इसके लिए पराली को एक गड्ढे में गलाना पड़ता है या फिर खाद बनाने की यूनिट में केंचुए डालने के बाद पराली से ढकना होता है. इस जैविक खाद को किसान खुद इस्तेमाल करने के साथ बेचकर अपनी आमदनी अधिक कर सकते हैं|